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________________ माटे तपास करवी शरु करी. परिणामे मने गुरुमहाराजना के.टलाक विहारनी, पूरेपूरी हकीकतो नहिं, तो कममां कम मुसाफरीनां गामो विगेरे हकीकतो तो जरूर उपलब्ध थइ. अने तेथी घणा वर्षोना ए बधा प्रयत्नना परिणामेज गुरुदेवनी कृपाथी आजे आ पुस्तक हुं जनसमाजनी समक्ष उपस्थित करवा भाग्यशाळी थइ शक्यो छु. वर्णन-~ ___ आ पुस्तकमां स्वर्गस्थ गुरुदेवे स्वयं करेला विहार ऊपरान्त गुरुदेवना शिष्योए पण ज्या ज्यां विहार कर्यो, त्या त्यांना विहारनी-मार्ग विगेरेनी-हकीकतो जेटली मळी तेटली मेळवीने आपवामां आवी छे. अने तेथी गुजरात, काठीयावाड, मारवाड, मेवाड, माळवा, बुंदेलखंड, संयुक्तप्रांत, मगध, बंगाळ, खानदेश, वराड, महाराष्ट्र अने (निजाम) हैद्राबाद सुधी- पण वर्णन आपी शकायुं छे. एकंदर रीते आ पुस्तकमा १४६८ गामोनुं वर्णन छे जेमा ७४५ गामो जैन वस्तीवाळां छे, ५८ जैनतीर्थो छे, अने ३७१ गामो ऊपर विस्तारथी नोटो आपेली छे. उपयोगिता मारु नम्र मन्तव्य छे के आ पुस्तक न केवळ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक साधुओनेज उपयोगी छे; बल्के एवा कोइ पण साधुओ ( स्थानकवासी-तेरापंथी विगेरे), के जेओ हमेशां पैदलज विहार करे छे, ते बधाओने माटे उपयोगी छे. एटलुज नहिं परन्तु तेथीं आगळ वधीने तपासीए तो कोइपण इतिहास प्रेमी के डीरेकटरी तैयार करवानी इच्छा राखनारने पण आ पुस्तक उपयोगी थइ पडशे. आवीज रीते लांबो विहार करनार मुनिराजो जो जुदा जुदा देशना पोतानां विहारवर्णनो तैयार करे, तो थोडाज परिश्रममां आखा हिंदुस्थानना तमाम जैनोनी डीरेकटरी आसानीथी तैयार थइ शके. जोके आवी रीते जुदां जुदां वर्णनो अस्तव्यस्त जरूर देखाय, परन्तु कोइपण संस्था के व्यक्ति आवी नोंधोने एकठी करी, ते ऊपरथी डीरेकटरीनी रीतिए गोठवी ते हकीकतोने संकलित करे, तो जरूर केटलेक अंशे तेनी पूर्ति थइ शके. . अनुभव- चोक्कस गामोमां के चोक्कस देशोमां विचरनाराओ विशाळ अनुभवथी वंचित रहे छे, ए खुल्ली हकीकत छे. अमारा जुदा जुदा देशोना विहारथी अमने नाना प्रकारनी स्थितियोनो अनुभव थयो छे. आ अनुभवना प्रसंगो एटला बधा छे के जेना ऊपर एक खास्सु पुस्तक लखी शकाय, तेम छतां थोडा अनुभवो आ प्रसंगे टांकवा समुचित समर्नु छ.
SR No.006292
Book TitleVihar Varnan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1926
Total Pages158
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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