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॥ अर्हम् ॥
॥ जगत्पूज्य - गुरुदेव - श्री विजयधर्मसूरिभ्यो नमः श्री
विहार-वर्णन.
पूज्यपाद गुरुदेव श्रीमद्विजयधर्मसूरीश्वरजी महाराज अने तेओश्रीना शिष्यसमुदायनो केटलोक विहार . )
वीर संवत् २४५२ ]
लेखक
मुनिराज श्रीजयन्त विजयजी,
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प्रकाशक
फूलचंद बैद
सेक्रेटरी श्रीयशोविजय जैन ग्रंथमाला
भावनगर.
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विक्रम संवत् १९८२
[ धर्म संवत् ४