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आर्य स्थूलभद्र श्रीयंकर के बाद क्रमशः लक्ष्मीदेवी ने सात पुत्रियों को जन्म स्थूलभद्र आठ वर्ष का हुआ। शकडाल ने पत्नी से कहादिया। जिनके नाम थे-यक्षा, यक्षदिन्ना, भूता, भूतदिन्ना, सेणा, वेणा और रेणा।
स्थूलभद्र को शिक्षा के लिए तक्षशिला के गुरुकुल भेजना /हाँ स्वामी, ऐसी तीव्र चाहिए। वहाँ अनेक राजाओं|| बुद्धि वाले बालक को के राजकुमार शिक्षा प्राप्त
गुरु भी बृहस्पति के समान ही मिलना
चाहिए।
कर रहे हैं।
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शुभमुहूर्त में स्थूलभद्र को अध्ययन के लिए तक्षशिला | गुरुकुल में भेजा गया। वहीं पर एक तीक्ष्ण बुद्धि ब्राह्मणकुमार से उसका परिचय हुआ। स्थूलभद्र ने उससे पूछा- मैं गौल्लभ प्रदेश के चणकपुर । मित्र ! तुम कहाँ के चणी विप्र का पुत्र हूँ। मेरी माँ का से आये हो? नाम है चणकेश्वरी। मेरा नाम है
विष्णुगुप्त। किन्तु मुझे सब चाणक्य
नाम से ही जानते हैं।
मेरी माँ कहती है, जन्म
से ही मेरे मुँह में यह दाँत "अच्छा, तुम्हारा
निकल आया था। मेरे मुँह में यह दाँत ऐसा क्यों
दाँत देखकर एक निर्ग्रन्थ श्रमण हो गया? ने बताया कि तुम्हारा पुत्र तो
RANA कोई राजेश्वरी बनेगा।
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