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मगध की राजधानी थी पाटलिपुत्र गंगा तट पर बसे इस सुन्दर नगर में विशाल राजमहल, श्रेष्ठियों के ऊँचे-ऊँचे भवन तथा अनेक
भव्य जिन मन्दिर, शिव मन्दिर शोभायमान थे। नन्दवंश के नवम नन्द धननन्द यहाँ के राजा थे। शकडाल उनके महामंत्री थेnar
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एक दिन महामंत्री शकडाल रामसभा के लिए तैयार होकर घर से निकले तो उनके दोनों पुत्र भी जिद्द करने लगे
अच्छा भाई, पिताश्री, हम भी तुम दोनों भी चलो, आपके साथ महाराज यही तो कल्पक वंश के दर्शन करने की परम्परा है।
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चलेंगे।
दोनों पुत्र शकडाल के साथ राजसभा में जाने के लिए चल पड़े।