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________________ आर्य स्थूलभद्र चम्पा नाम की दूती ने रूपकोशा को सूचित किया देवी ! अनर्थ हो गया....। महामंत्री शकडाल की हत्या ....। क्या हो गया? दूती सुबक पड़ी। रूपकोशा की आँखों से भी आँसू टपक पड़े। रोते-रोते रूपकोशा ने पूरी घटना सुनाई तो स्थूलभद्र नंगे उसने स्थूलभद्र को खबर दी-- पाँवों चादर लपेटे ही रूपकोशा के भवन से निकल क्या ! कैसे हुआ यह पड़े। कोशा पीछे भागीअचानक? क्या अस्वस्थ स्वामी ! थे? मुझे खबर तक देव ! पिताश्री नहीं सुनो, मैं भी आ नहीं पड़ी। रहे....। A TOTTORNO A रही हूँ। नहीं कोशा ! तुम मत आना। Morce । स्थूलभद्र तेजी से अपने भवन की ओर चल पड़ा। PA
SR No.006284
Book TitleAarya Sthulbhadra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Education Board
PublisherJain Education Board
Publication Year
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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