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नन्द ने श्रीयक को शान्त किया और पूछा
आर्य स्थूलभद्र श्रीयक ने समूची घटना सुनाई
मेरे विवाह उत्सव पर आपको छत्र आदि भेंट करने के लिए यह सब तैयारी
चल रही थी।
सत्य क्या है तुम बता सकते हो?
घटना की सच्चाई जानकर धननन्द की आँखों में आँसू टपक गये। वे शकडाल के शव के पास खड़े होकर क्षमा माँगने लगेओह ! मैंने वहम में ही एक परम
स्वामिभक्त खो दिया। महामंत्री!
तुमने यह क्या करवा दिया, ऐसा
स्वामिभक्त मंत्री....।
राजा नन्द ने श्रीयक को अपनी छाती से लगाया
वत्स ! होनहार के हाथों अनर्थ हो गया, अब पूरे राज सम्मान के साथ महामंत्री का
अंतिम संस्कार करो।
पास खड़ा श्रीयक अब फूट-फूटकर रो रहा था।
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