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________________ आर्य स्थूलभद्र इसके बाद मंच पर रूपकोशा आती है। सभी को प्रणाम स्थूलभद्र भी साँस रोके यह अद्भुत नृत्य देखने करके नृत्य प्रारम्भ करती है। BIZAZVाम लगा। बरबस उसके मुँह से भी निकलता है अद्भुत! विलक्षण तीर निशाने पर लगा। YERS UO सा मीरात को डि TA दो घड़ी तक अद्भुत सूचिका नृत्य करके रूपकोशा ने सबको | स्थूलभद्र भी एक गुलदस्ता लेकर रूपकोशा को | प्रणाम किया। महारान धननन्द ने अपना मूल्यवान हीरों का भेट देता है ऐसा तेजस्वी, हार रूपकोशा के गले में डालते हुए घोषणा की बड़ी अद्भुत कला है (दिव्य रूपवान कौन है आज से रूपकोशा को आपकी। यह युवक? मगध की राजनर्तकी का सम्मान दिया / जाता है। DNA रूपकोशा स्थंभित-सी उसको निहारने लगी और अपनी सुधबुध भूल गई।
SR No.006284
Book TitleAarya Sthulbhadra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Education Board
PublisherJain Education Board
Publication Year
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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