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कर भला हो भला नागदेव ने कहा- वहाँ भी तुम्हारी |
आराम शोभा ने कहाछोटी बहन रानी बनकर तुम्हारा स्थान ले चुकी है। यदि अब तुम वहाँ जाओगी तो उसका क्या
हाल होगा?
देव ! मुझे पति और पुत्र का वियोग मंजूर है, परन्तु मेरे कारण मेरी माँ और छोटी बहन दुःखी
हों ऐसा नहीं करूंगी।
कुछ दिन बीतने पर एक दिन उसे पुत्र की बहुत याद सताने लगी।। उसने नागदेव से कहा
देव ! पति न सही, मुझे कम से कम पुत्र का मुँह तो दिखा दीजिये।
नागदेव बोले
ठीक है ! मैं कल रात /तुम्हें राजमहल पहुँचा दूंगा, परन्तु
यदि तुम भोर होने से पहले वापस नहीं लौटीं तो तुम्हारे मूड़े से एक मृत सर्प गिटेगा और उस दिन से तुम्हारा
उद्यान नष्ट हो जायेगा।
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अगली सात नागदेव ने आराम शोभा को टाजमहल पहुंचा दिया। आटाम शोभा ने पुत्र को गोद में लिया, माया उद्यान के सुगन्धित फूल पालने में बिछा दिये।
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ऊँ, मेरा राजदुलारा कितना समय हो गया तेरा मुखड़ा देखे।
और प्रातः होने से पहले ही नागलोक वापस आ गई।
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