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फिर पुत्र की तरफ सकत करके बोली
कर भला हो भला
राजा ने पुत्र को गोद में उठा लिया
सचमुच मेटा लाल देवकुमार जैसा है। मेरे 60 जैसा ही तेजस्वी! बड़ी-बड़ी आँखें। Ah
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गाना
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यह देखिये न आपका लाल ! बिलकुल
पुत्र देखने की खुशी में राजा आराम शोभा के आपके जैसा ही तो है।
नकली रूप को भी भूल गया। | कुछ दिन बाद खूब धूम-धाम से जितशत्रु, पुत्र व उसकी नकली माँ को महलों में ले आया। राजा हर समय शंकित-सा रहता था। तुम्हारा रूप, स्वभाव,
हाव-भाव सब कुछ बदला-बदला है, सच्ची बताओ तुम कौन हो?
स्वामी ! क्या आप भी मुझ पर । विश्वास नहीं करते, मैं ही आपकी आराम शोभा हूँ। देव-दोष के कारण सभी मुझ पर सन्देह करने लग
गये? हाय ! मेरे भाग्य।
उसको रोती देखकर राजा का दिल पसीज गया। इधर असली आराम शोभा पाताल लोक में उदास-सी रहती। नागदेव ने कहा
1010 पुत्री ! यहाँ तुम्हें किसी बात का कष्ट है?
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देव ! एक माँ को अपने पुत्र का वियोग और पतिव्रता नारी को पति का विछोह इतना भारी कष्ट है कि इसके सामने सभी
सुख नगण्य हैं।
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