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विद्युतप्रभा ने अपना परिचय दिया तो राजा जितशत्रु ने सैनिकों को भेजकर अग्निशर्मा ब्राह्मण को वहीं बुलवा लिया और कहापण्डित जी ! आपके घर में महाराज ! मेरे अहोभाग्य हैं। हर जो अमूल्य रत्न हैं, हम उसे पिता अपनी कन्या का सुख चाहता है। अपने लिए माँगते हैं। आप जैसा पति पाकर इसका जीवन निश्चित ही आनन्दमय होगा।
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वहीं उद्यान में धूम-धाम से राजा ने विद्युतप्रभा के साथ विवाह कर लिया। पण्डित अग्निशर्मा बोलेमहाराज ! कन्यादान पण्डितराज, आपसे कन्यारत्न में देने के लिए मेरे पास, हमने माँगा है, इसलिये हम तो कुछ नहीं है। आपको बारह गाँव देते हैं।
राजा विद्युतप्रभा को लेकर नगर में आ गया। दूसरे दिन विवाहोत्सव मनाया गया। राजा ने घोषणा कीउद्यान भी उसके साथ-साथ चला आया।
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नई रानी विद्युतप्रभा के साथ उद्याने ( आराम ) की शोभा बनी रहती है। इसलिए आज से इनका नाम आराम शोभा होगा। रानी आराम शोभा इस राज्य की पटरानी होंगीं।
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