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________________ कर भला हो भला | कुलधर ने परदेसी युवक को गौर से देखा-उसकी बोली- व्यवहार देखकर सेठ को आशा जगी और वह घूर घूरकर उसे देखता रहा। परदेसी बोला सेठ जी, मुझे यों क्यों देख रहे हो? तुम कहाँ से आये हो? नाम क्या है तुम्हारा? क्या करते हो ? विवाह हो गया क्या? परदेसी झुंझलाकर बोला आप तो ऐसे पूछताछ कर रहे हैं जैसे लड़की ब्याहनी हो? कुलधर ने उस युवक का हाथ पकड़ लिया और प्रेमपूर्वक घर के अन्दर ले गया। मीठा शर्बत पिलाया। 20 দ आज यह युवक भाग्यवश आ गया है। निर्भगा के साथ इसका विवाह कर दूँ तो चिन्ता मिटे । बातों ही बातों में उसने युवक का परिचय ले लिया।. | मैं चोल देश से आया हूँ। धनदेव की दुकान पर नौकरी करता हूँ। मेरे माता-पिता बचपन में ही गुजर गये सो अकेला हूँ। मेरा नाम है नन्दन ! धनदेव पत्र देकर अपने घर पर भेजा है। यही सामने वाला घर धनदेव का है। तुम पत्र देकर वापस मेरे पास आ जाना |
SR No.006283
Book TitleKar Bhala Ho Bhala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Education Board
PublisherJain Education Board
Publication Year
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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