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या कर भला हो भल्ला गोदाम में लगी आग ने कुलधर की कमर तोड़ दी। बाजार | | कन्या कुछ बड़ी हुई तो लोग पूछतेसे उधार लिये माल का पैसा चुकाते-चुकाते उसका घर दुकान सब बिक गये। दाने-दाने का मोहताज हो गया।
| भाई कुलधर! इस कन्या । हमारे दुर्भाग्य की प्रतीक का नाम क्या है?
यह निर्भगा है। इस स्थिति में कुलानन्दा ने एक पुत्री को जन्म दिया।
'हे भगवान् ! किन कर्मों का फल मिल रहा है मुझे। गरीबी में आटा गीला ! एक तो दो जून रोटी की फिकर और फिर आठवीं पुत्री।
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यह कोई अभागिनी कन्या हमारे । घर आई है ! जिसके पाँव पड़ते। ही सब धन-वैभव नष्ट हो गया।
एक दिन निर्भगा के विवाह की चिन्ता में कुलधरे निर्भगा को न तो माँ-बाप का प्यार मिला और न ही कोई परवरिश ! खेत | उदास बैठा था कि तभी एक परदेसी युवक आया। के किनारे लगी काँटों की बेल की तरह वह अपने आप बढ रही थी। कुलधर को चबूतरे पर बैठा देखकर पूछाधीरे-धीरे वह बड़ी हुई। उसे देखकर कुलनन्दा ने अपने पति से कहा
सेठ जी धनदेव का घर
कौन-सा है? देखो, पुत्री बड़ी हो गई है। अब कौन पसन्द करेगा इसको? न तो इसका विवाह कैसे करेंगे24रूप-रंग, न ही कोई गुण ! न हमारे
पास दहेज के लिए धन है। 4