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________________ ccccc प्रस्तावना भगवान महावीर ने श्रावक के सत्य अणुव्रत के दोषों की चर्चा करते हुए कहा है, जो किसी की धरोहर (न्यास) या अमानत देखकर बदनीयत से लौटाने के लिए मुकर जाता है, असत्य प्रपंच करता है तो उसका सत्य अणुव्रत खण्डित होता है। क्योंकि यह विश्वासघात है, धोखा है। जिसके साथ ऐसा विश्वासघात होता है उसकी आत्मा तिलमिला उठती है, दु:खी होती है और वह उस विश्वासघाती के प्रति वैर व प्रतिशोध की आग में जलने लगता है। इसलिए इस प्रकार का विश्वासघात महापाप है। वैर बढ़ाने वाला है। 'पाँच रत्न' कहानी में एक गरीब ब्राह्मण की अमानत हड़पकर करोड़पति बनने वाले सेठ की कहानी है। जिसने अपनी ईमानदारी की प्रसिद्धि के बल पर गरीब ब्राह्मण के पाँच मूल्यवान रत्न दबा लिए। विश्वासघात की चोट से छटपटाता ब्राह्मण मरकर नाग बनता है और अपने रत्नों के बदले में सेठ के जवान नवविवाहित पुत्रों की जान ले लेता है। आत्मा का दर्शन तथा दुराग्रह का फल, ये दो कहानियाँ जैन आगम रायपसेणिय सूत्र से ली गई हैं। जो केशीकुमार श्रमण ने श्वेताम्बिका नगरी के नास्तिक राजा प्रदेशी को सुनाईं और इनके द्वारा आत्मा की पहचान करने तथा सत्य को समझकर अनाग्रह बुद्धि से ग्रहण करने की प्रेरणा दी। अपनी बात का दुराग्रह रखने वाला अन्त में पछताता है। इस पुस्तक की तीनों कहानियाँ जीवन के लिए प्रेरणादायी तथा सत्य की खोज करने की.प्रेरणा देती हैं। (प्रकाशक एवं प्राप्ति स्थान ) LOOK मूल्य २०/- रु. LEARN Jain Education Board PARASDHAM Vallabh Baug Lane, Tilak Road, Ghatkopar (E), Mumbai-400077. Tel: 32043232.
SR No.006281
Book TitlePanch Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Education Board
PublisherJain Education Board
Publication Year
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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