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उदयन और वासवदत्ता दूसरे दिन राजा उदयन, वासवदत्ता, विशाल सेना के साथ भगवान महावीर के दर्शन करने गये और अमृतवाणी सुनी। प्रवचन के पश्चात् उदयन ने प्रभु से प्रार्थना की
प्रभु ! मैं अपनी माता महासती मृगावती के दर्शन करना चाहता हूँ।
वत्स! आयो चन्दनबाला के सानिध्य में तुम्हारी मातां साध्वी मृगावती अन्यत्र उद्यान में स्थित हैं। वह केवली ही चुकी हैं। वहीं पर तुम उनके दर्शन कर सकोगे।
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उदयन-वासवदत्ता दोनों ही साध्वी मृगावती के दर्शन करने गये। वहीं पर वासवदत्ता की माता साध्वी ! अंगारवती आदि भी विराजमान थीं। दोनों ने उनके दर्शन किये और धर्म शिक्षा प्राप्त की। उनकी धर्म शिक्षाओं के अनुसार अपना जीवन बिताते हुए दोनों ने ही जिनधर्म की आराधना कर जीवन सफल बनाया।
समाप्त
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