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उदयन और वासवदत्ता फिर दूसरे हाथी पर बैठकर उदयन आदि सकुशल नगर में प्रवेश कर गये।
लौटकर सैनिकों ने सारी घटना सुनाई तो चण्डप्रद्योत ने दाँत पीसते हुए कहा
यह उस धूर्त यौगंधरायण की चाल है। उसी ने हम सबको मूर्ख बनाया है। सेना तैयार करके कौशम्बी पर आक्रमण करो।।
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मंत्रियों ने उसे समझाया-महाराज ! अब युद्ध करने से राजपुरोहित ने भी कहा
क्या लाभ है? राजकुमारी ने
माटरी ने | राजन् ! पुत्री की खुशी ही अपना वर स्वयं चुन ही लिया तो पिता की खुशी होती है। है और वह भी उदयन जैसा फिर आपको तो बिना परिश्रम वीर सुन्दर कलाकार किये ही इतना गुणी और वीर
दामाद मिल गया। A
ത്തരവ
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