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________________ उदयन और वासवदत्ता हथिनी के पास पहुँचकर उदयन ने पूछा वसन्तक! राजन् ! इनमें हथिनियों हथिनी के पीछे का मूत्र भरा है। यही ये चार घड़े क्यों A अनिलगिरि हाथी बाँध रखे हैं? को रोकने की एक मात्र दवा है। हथिनी पर बैठकर जैसे ही वे जाने लगे। दूर खड़ा यौगंधरायण जोर-जोर से पुकारने लगा- पागल ! आज देखो उज्जयिनी के लोगो, भी वही नाटक उदयन वासवदत्ता के साथ करने लगा। जा रहा है। किसी की हिम्मत हो तो रोक लो?/ 400 परन्तु जब हथिनी सीमा के जंगलों के पास पहुंची तो कुछ पहरेदारों ने हथिनी पर बैठी तत्काल राजा को खबर दीवासवदत्ता और उदयन को देखा। अरे, यह तो महाराज ! राजकुमारी, Y क्या? इतना AWUA उदयन के साथ हथिनी । बड़ा छल! अपनी राजकुमारी पर बैठकर अवन्ती की | मेरी बेटी मेरे और उदयन हैं। नान HAVAN तरफ जा रही है। साथ ही धोखा कर गई? 26
SR No.006280
Book TitleUdayan Vasavdatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Education Board
PublisherJain Education Board
Publication Year
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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