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________________ उदयन और वासवदत्ता तभी एक दिन अनलगिरि हाथी मदोन्मत हो गया। सांकलों के बंधन तोड़ दिये। खम्बे उखाड़ दिये और बिफरा हुआ राजमार्ग पर उत्पात मचाने लगा। सैनिकों ने राजा को आकर सूचना दी। राजा ने अभयकुमार राजा ने उदयन से कहा / महाराज ! अब तो से पूछा-ANV अभय#, क्या करें? हाथी को वत्स ! अब तो प्रजा की राजकुमारी भी इस महाराज! वश में करने का उपाय बताओ। रक्षा करना तुम्हार हा हाथ कला में प्रवीण हो गई। उदयन का शान्त में है। मुझ पर उपकार हैं। हम दोनों मिलकर राग सुनकर हाथी का करो। हाथी को शान्त करो। वीणा बजायेंगे। मद उतर जायेगा। SAN उदयन और वासवदत्ता एक हाथी पर बैठकर वीणा बजाने लगे। उनकी वाणी के स्वर सुनते ही अनिलगिरि हाथी वहीं का । वहीं खड़ा रह गया वाह ! अद्भुत चमत्कार है। वीणा के स्वरों में। Maa KMADJoy महावतों ने तुरन्त उसे पकड़कर गजशाला में लाकर बाँध दिया। # चण्डप्रद्योत ने बदला लेने के लिए छल करके अभयकुमार को भी बन्दी बनाकर उसे सम्मानपूर्वक उमयिनी में रोक रखा था। 24
SR No.006280
Book TitleUdayan Vasavdatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Education Board
PublisherJain Education Board
Publication Year
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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