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________________ ८ दोय चोमासा पुर सैहर मैं, सेतालीसे नै सतावनें होय हो। मुणिंद! ____एक सौ नै एक बीस पोसा एक दिन आसरे, वले जूवो छोड़ायो घणो सोय हो। मु.धि. ९ पांच चोमासा पूजजी, सैहर खेरवे उपगार कियो सरस हो। मुणिंद! छबीसे बत्तीसे इगतालीसे समे, छयालीसे चोपने वरस हो।। मु. धि. १० सात चोमासा पाली सैहर मैं, तेवीसे तेतीसे चाळीसे चोमाळ हो। मुणिंद! बावने पचावने गुणसठे , सुखे-सुखे नेड़ो आयो काळ हो। मु. धि. ११ सात चोमासा सरियारी सैहर मैं, उगणीसे बावीसे गुणतीसे गिणाय हो। मुणिंद! गुणाळीसे बयाळीसे एकावने, साठे परभव पोहता मुनि आय हो। मु.धि. १२ सासण श्री वर्धमान रौ आछो, दीपायो भीखू स्वाम हो। मुणिंद! __घणां जीवां नैं प्रतिबोधनै, आप पोहता सुध ठाम हो।। मु. धि. १३ पचीस वरस आसरे घर में रह्या, आठ वरस आसरे भेष धार हो। मुणिंद! एक दिन अधिको सतरे संजम लियो, तिण मैं वरत्या चाली में वरस च्यार।। मु. धि. १४ सरव आउ सितंतर वरस आसरै, पाळ्यौ भीखनजी स्वाम। मुणिंद! __चमालीस वरसां मझे, सारया घणां रा कांम।। मु. धि. १५ एक सौ में च्यार रे आसरै, दिख्या दीधी निज गण माय हो। मुणिंद! एकवीस साध सतावीस साधव्यां, मेले परभव पोहता मुनिराय हो। मु. धि. १६ हजारां श्रावक-श्रावका कीया, सुलभ बोधी हजारां थाय हो। मुणिंद! गुण-ग्रांम करता लाखां गमे, ऐसा हुवा भीखू ऋषराय हो।। मु. धि. १७ मुनि मोसूं उपगार कीयो घणौ, संजम दियौ सुखदाय हो। मुणिंद! जो अनेक प्रकारे गुण अबूं, तो ही उरण नहीं थाय हो।। मु. धि. १८ जनम-मरण री लाय सूं, आप काढ्यौ देइ नै साज हो। मुणिंद! वले मारग बतायौ मोख रो, धिन-धिन भीखू रिषराज हो।। मु. धि. १९ चिरत कियौ भीखू तणों, सुणीयौ जिम अटकल अनुसार हो। मुणिंद! 'सांसा'' सहित 3 निश्चै कह्यौ हुवै, तो मिछामी दुकडं वारूंवार हो।। मु. धि. २० जोड़ कीधी सरियारी सैहर मैं, पके हाट विचार हो। मुणिंद! समत अठारे साठे समें, माह सुदि नवमी सनिसर वार हो। मु. धि. २१ ए गुण गया भीखू तणां, कर्म काटण निरजरा करण हो। मुणिंद! हाथ जोड़ी ऋष हेमो कहै, भव-भव होजो भीखू रौ मनें सरण हो।।मु.धि. ___ इति श्री हेमराजजी स्वामी कृत भीक्खू-चरित समाप्तम् १. संशय। २७४ भिक्खु जश रसायण
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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