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________________ प्रथम सर्ग मंगलाचरण १. अनंतबल के धारक, मार्गद्रष्टा, अन्तिम तीर्थकर भगवान् महावीर का स्मरण कर मैं प्राकृत भाषा में देवदत्ता-चरित्र की रचना करता हूं। २. मनुष्य अपने कृत कर्मों का फल किस प्रकार इस संसार में प्राप्त करता है उसका उदाहरण यह देवदत्ता-चरित्र है । १. प्राचीन काल में इस जम्बूद्वीप में रोहीतक नामक एक ऋद्ध, समृद्ध और स्तिमित नगर था। २. वहां अनेक धनबान्, कुलीन और बुद्धिमान व्यक्ति रहते थे। उसमें एक दत्त नामक गाथापति था। ३. उसकी पत्नी का नाम कृष्णश्री था। वह रूपवती, गृहकार्य में निपुण, धीर, गम्भीर और गुणवती थी। ४. कालांतर में उसके उदर से एक सुंदर कन्या का जन्म हुआ। माता पिता ने उसका नाम देवदत्ता रखा। ५. उसका पालन करने के लिए उन्होंने पांच धायमाताओं को रखा। वे उसका मन से पालन करने लगी। ६. बहुत कार्य होने पर भी माता अपने कर्तव्य को नहीं भूली। वह सदा जागरूकता पूर्वक उसमें सुसंस्कार भरती थी। .
SR No.006276
Book TitlePaia Padibimbo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages170
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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