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________________ ललियंगचरियं २७ ४६. कुछ दूर जाने पर उन्होंने एक वृद्ध को देखा। उसे ज्ञानी जानकर कुमार ने पूछा४७. धर्म की जय होती है या अधर्म की। उसका (कुमार का) कथन सुनकर उसने कहा४८. अधर्म की जय होती है और धर्म की पराजय। विचित्र समय आ गया है । अधर्मी व्यक्ति सुखी रहता है। . ४९. धार्मिक व्यक्ति पग-पग पर दुःख का अनुभव करता है। उसका कथन ___ सुनकर सज्जन हर्षित हुआ। ५०. उसने कुमार से कहा-मेरी बात सत्य हुई है । अतः मुझे घोड़ा और आभूषण दो। ५१. उसका कथन सुनकर कुमार ने तत्काल उसे घोड़ा और आभूषण देकर अपने वचन की रक्षा की। ५२. संसार में वचन देने में बहुत व्यक्ति कुशल हैं। किन्तु समय पर उसका पालन करने वाले विरले ही होते हैं। ५३. वे ही व्यक्ति दिये हुए वचन का पालन कर सकते हैं जो स्वार्थ को कभी भी प्रमुख स्थान नहीं देते। ५४. जो व्यक्ति दिये हुए वचन का पालन करते हैं वे धन्य हैं। जो दिये हुए वचन का पालन नहीं करते वे गर्दा को प्राप्त करते हैं। ५५. दिये हुए वचन का पालन कर कुमार हर्षित हुआ। किंतु मन में सोचने लगा-यह कैसा समय है ? । ५६. मनुष्यों के विचार में अद्भुत परिवर्तन हो गया है । वे कहते हैं धार्मिक दुःखी होता है और अधार्मिक सुखी । ५७. मेरा दृढ़ विश्वास है कि धार्मिक व्यक्ति सदा सुखी रहता है और अधार्मिक संसार में दुःख पाता है, इसमें संदेह नहीं है। ५८. कुमार के चिन्तन को जानकर सज्जन विस्मित हुआ। यह कैसा आदमी __ है जो आग्रह को नहीं छोड़ता। ५९. मनुष्य संसार में सदा आग्रह से दुःखी होते हैं। अनाग्रही व्यक्ति सदा सुख पाते हैं, इसमें संशय नहीं ।
SR No.006276
Book TitlePaia Padibimbo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages170
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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