SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 119
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ देवदत्ता ९९ ११ . पिता की मृत्यु के बाद कुमार सिंहसेन राज्य का स्वामी हुआ । वह प्रजा का सुखपूर्वक पालन करने लगा । १२. राज्य प्राप्ति के बाद वह अपनी श्यामा नामक रानी को बहुत सम्मान देने लगा और उसमें आसक्त होकर रहने लगा । १३. उसके ( श्यामा के) अतिरिक्त वह अन्य रानियों के साथ बात भी नहीं करता था । तब सम्मान देने की बात ही कहां ? १४. राजा का इस प्रकार विषम व्यवहार देखकर उन रानियों की माताओं ने परस्पर विचार किया -- १५. श्यामा रानी में गृद्ध होकर राजा हमारी पुत्रियों के साथ बात भी नहीं करता है । १६. राजा का यह व्यवहार तनिक भी उचित नहीं है । क्या विषम व्यवहार से कोई व्यक्ति प्रिय बन सकता है ? १७-१८. अतः हमारे लिए यही हितकर है कि हम शीघ्र ही श्यामा रानी को मार दें । उसके मर जाने पर राजा निश्चित ही हमारी प्रिय कन्याओं को सम्मान देगा । इस प्रकार परस्पर में चिंतन कर उन्होंने उसे मारने की योजना बनाई । १९. श्यामा रानी को उनकी यह गुप्त योजना मालूम पड़ गई । वह खिन्न होकर मन में सोचने लगी २०-२१: न मालूम ये मुझे अब किस प्रकार मारेगीं । इस प्रकार मन में विचार कर वह बहुत भयाकुल हो गई और कोपगृह में जाकर आर्त्तध्यान करती हुई दुःखी मन से अपना समय बिताने लगी । २२-२३. राजा को जब दासियों द्वारा यह मालूम पड़ा कि श्यांमा रानी कोपगृह में स्थित होकर प्रचुर विलाप कर रही है, तब राजा शीघ्र ही रानी के पास आया और बोला – प्रिये ! तुम क्यों इस प्रकार अभी रो रही हो ?
SR No.006276
Book TitlePaia Padibimbo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages170
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy