________________
चतुर्थ सर्ग
१. जो 'मनुष्य यहां जन्म ग्रहण करते हैं वे निश्चित ही मृत्यु को प्राप्त करते हैं । फिर वे चाहे राजा हो, तीर्थंकर हो या और कोई । मृत्यु किसी को नहीं छोड़ती ।
२. मृत्यु कब और कहां आ जाये - यह कोई भी व्यक्ति नहीं जानता है । अतः मनुष्यों को जीवन में सदा सावधान रहना चाहिए ।
३. जो वैश्रमणदत्त राजा प्रजा का सुख चाहता था, उसके लिए हितकारी कार्य करता था वह भी अचानक मृत्यु को प्राप्त हो गया ।
४. राजा को मरे हुए देखकर संपूर्ण राजवंश में शोक छा गया । राजकुमार और रानी के दुःख का तो कहना ही क्या ?
५. वे धैर्यहीन होकर प्रचुर दुःख करने लगे । पर मृत्यु के आगे किसी का कुछ भी बल नहीं चला ।
६. जब कोई व्यक्ति मरता है तब उसका वे ही व्यक्ति अधिक दुःख करते हैं जिनका उनके साथ स्नेह है । स्नेह के बिना कोई दुःख नहीं करता ।
७. राजा की मृत्यु हो गई है - यह बात सर्वत्र नगर में विद्युत् की तरह फैल गई । सुनकर सभी विस्मित हो गये ।
८.
पुरवासी उसके गुणों का स्मरण करके मन में दुःख करने लगे । क्योंकि वह न्यायी और हितदर्शी था । प्रजा उसके राज्य में सुखी थी ।
९. मृत्यु के बाद मनुष्य उसी व्यक्ति को याद करते हैं जो अपने स्वार्थ को छोड़कर दूसरों के हित के लिए अच्छा कार्य करता है ।