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बीसवीं शताब्दी के जैन मनीषी और उनकी काव्य कृतियाँ
इस शोध प्रबन्ध के द्वितीय अध्याय में बीसवीं शताब्दी के जैन मनीषियों द्वारा प्रणीत काव्य कृतियों को साहित्य की विविध विधाओं के अन्तर्गत विश्लेषित करके प्रस्तुत किया गया है । इस शताब्दी की प्रायः सभी काव्य कृतियों में इस अध्याय के प्रारम्भ से उल्लिखित (उपर्युक्त सभी) विशेषताएँ प्राप्त होती हैं ।
द्वितीय अध्याय में उल्लिखित जैन मनीषियों की रचनाएं इतनी अधिक हैं कि उन सबका इस शोध प्रबन्ध के सीमित पृष्ठों में एक तो अध्ययन सम्भव नहीं है दूसरे वैसा करना आवश्यक भी नहीं है । इसलिए इस सम्पूर्ण शताब्दी के प्रमुख रचनाकारों की प्रतिनिधि रचनाओं को ही अपने अध्ययन की परिधि में समाविष्ट किया है । प्रयत्न करने पर भी कुछ रचनाएँ सुलभ नहीं हुई किन्तु जो भी रचनाएँ सुलभ हुई है वे संस्कृत काव्य के विकास में बीसवीं शताब्दी के जैन मनीषियों के योगदान को रूपायित करने में पूर्णतः समर्थ हैं ।
प्राप्त सामग्री को दो अध्यायों में विभाजित किया है । इस शोध प्रबन्ध के तृतीय अध्याय में बीसवीं शताब्दी के जैन साधुओं और साध्वियों द्वारा प्रणीत रचनाओं का अध्ययनअनुशीलन किया गया है तथा चतुर्थ अध्याय में बीसवीं शताब्दी के शेष सभी जैन मनीषियों की रचनाओं का अध्ययन-अनुशीलन समाविष्ट है ।
इन दोनों अध्यायों में रचनाओं का अध्ययन-अनुशीलन करते समय पहले रचनाकार का परिचय, वैदुष्य और कृतियों की जानकारी देने का विनम्र प्रयत्न किया है । तदनन्तर उनकी प्रतिनिधि रचनाओं का अनुशीलन विवेचित है ।
आचार्य ज्ञानसागर मुनि महाराज परिचय :
अचार्य श्री ज्ञानसागर महाराज बीसवीं शती के मूर्धन्य साहित्यकार और वे जैन धर्म के महनीय दि. जैन मुनि-आचार्य थे । आपका जन्म 1892 ईस्वी में राजस्थान प्रदेश के सीकर जिले के अन्तर्गत राणोली ग्राम में हुआ । इनके पिता चतुर्भुज एवं माता धृतवरी देवी थी।
आप बचपन में "भूरामल' नाम से विख्यात रहे । बालक भूरामल को 10 वर्ष की अल्पायु में ही पितृ-स्नेह से वंचित होना पड़ा । इस महाविपत्ति एवं पारिवारिक आर्थिक स्थिति के कारण इन्हें अनेक कष्ट उठाने पड़े । इसी क्रम में भ्रमण करते हुए वाराणसी पहुँचे, वहाँ स्याद्वाद महाविद्यालय से संस्कृत साहित्य एवं जैन दर्शन की उच्च शिक्षा प्राप्त की । आपने क्वीन्स कॉलेज काशी से शास्त्री की उपाधि प्राप्त की । तत्पश्चात् आपने जैन साहित्य के प्रणयन प्रचार एवं प्रसार के लिए आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रण किया । आपकी उत्कृष्ट कवित्व शक्ति, प्रतिभा एवं काव्य साधना निम्नलिखित कृतियों में अंकित है ।
___ अ.संस्कृत काव्य - (1) वीरोदय (2) जयोदय (3) सुदर्शनोदय (4) श्री समुद्रदत्तचरित्र (5) दयोदय (6) मुनिमनोरञ्जन शतक (7) प्रवचनसार (8) सम्यक्तवसार शतक
ब. हिन्दी ग्रन्थ - (1) ऋषभावतार (2) गुणसुन्दर वृत्तान्त (3) भाग्योदय (4) जैन वि. विधि (5) कर्तव्यपथ प्रदर्शन (6) सचित्त विवेचन (7) तत्त्वार्थसूत्र टीका (8) विवेकोदय (9) नियमसार का पद्यानुवाद (10) देवागमस्तोत्र का पद्यानुवाद (11) मानवजीवन (12) अवटपाहुड़ का पद्यानुवाद (13) समयसार (14) स्वामी कुन्दकुन्द
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