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प्रथम अध्याय
संस्कृत साहित्य का अन्तःदर्शन (अ) संस्कृत साहित्य का आविर्भाव तथा विकासः संक्षिप्त इतिवृत्त
संस्कृत शब्द की निष्पत्ति और उसका अर्थ :
संस्कृत शब्द सम् उपसर्ग पूर्वक कृ धातु से क्त प्रत्यय जोड़ने पर निष्पन्न होता है। जिसका अर्थ है - परिष्कृत, मांज कर चमकाया हुआ आवर्धित, सुरचित, सुसम्पादित, सुधारा गया । सम्प्रति इस शब्द से आर्यों की साहित्यिक भाषा का बोध होता है । यह भाषा प्राचीन काल में आर्य पण्डितों की बोली तो थी ही और इसी के द्वारा चिरकाल तक आर्य विद्वानों का परस्पर व्यवहार होता था । तत्कालीन संस्कृति, इतिहास और महाभाष्य आदि सुप्रसिद्ध ग्रन्थों से यह स्पष्ट होता है कि जन सामान्य में भी इसी भाषा में वार्तालाप होता था । किन्तु उन दिनों इसे केवल "भाषा" शब्द से संकेतित किया जाता था । "संस्कृत" के लिए"भाषा" शब्द का प्रयोग :
भाषा के अर्थ में संस्कृत का प्रयोग वाल्मीकीय रामायण में पहले पहल मिलता है। सुन्दरकाण्ड में सीता जी से किस भाषा में बातचीत की जाये इसका विचार करते हुए हनुमान जी ने कहा है कि यदि द्विज के समान में संस्कृत वाणी बोलूंगा तो सीता मुझे रावण समझकर डर जायेंगी।
यास्क' और पाणिनी के ग्रंथों में लोकव्यवहार में आने वाली बोली का नाम केवल भाषा है । "संस्कृत" शब्द इस अर्थ में प्रयुक्त नहीं मिलता जब "भाषा" का सर्वसाधारण में प्रचार कम होने लगा और प्राकृत भाषाएं बोलचाल की भाषाएँ बन गई तब जान पड़ता है कि विद्वानों ने प्राकृत भाषा से भेद दिखलाने के लिए इसका नाम "संस्कृत" भाषा दे दिया । हमारी इस मान्यता की पुष्टि सातवीं शताब्दी के साहित्यकार और साहित्य शास्त्री दण्डी के इस कथन से होती है -
__ "संस्कृतं नाम दैवीवागन्वाख्याता महर्षिभिः । जनता जनार्दन की व्यवहार भाषा : प्राकृत भी :
___ "भाषा'' के साथ-साथ सर्व सामान्य में व्यवहार हेतु प्राकृत-भाषाओं का विविध रूपों में प्रयोग दृष्टिगोचर होता है । प्राकृतों का अस्तित्व निश्चित रूप से वैदिक बोलियों के साथ-साथ वर्तमान था । इन्हीं प्राकृतों से परवर्ती, साहित्यिक प्राकृतों का विकास हुआ । संस्कृत का महत्त्व : सुदूर प्राचीन काल से अद्यपर्यन्तः
संस्कृत भाषा सर्वातिशायिनी भाषा है । सुदूर प्राचीन काल से अद्य पर्यन्त उसका महत्त्व यथावत् अक्षुण्ण है । आर्य संस्कृति के प्रतिपादक अधिकांश ग्रन्थरत्न इसी भाषा में विरचित हैं और इस भाषा के ज्ञान से ही उस संस्कृति और जीवन दर्शन तक पहुँच संभव है ।