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शासकीय हाई स्कूल बहादुरपुर (जिला गुना) में पदस्थ अपने समस्त अध्यापक साथियों एवं मित्रों का हृदय से आभारी हूँ जिनकी शुभाकाँक्षा और रहनुमाई में यह प्रबंध पूर्ण हो सका ।
___आज मुझे अपार हर्ष है कि जैन धर्म एवं संस्कृति के सबल संवाहक अनेक ऐतिहासिक सारस्वत यज्ञों के प्रेरक तीर्थ निर्माता परम् पूज्य मुनि श्री सुधासागर जी महाराज की सत्प्रेरणा से यह ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है, आप संतशिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के सुशिष्य है, मैं मुनिवर के पावन चरणों में परोक्ष प्रणतियाँ निवेदित करता हूँ । प्रकाशन संस्था आ. ज्ञानसागर वागर्थ विमर्श केन्द्र के पदाधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने मेरे ग्रन्थ को सुन्दर रूप में प्रकाशित किया ।
प्रस्तुत शोध प्रबन्ध "संस्कृत काव्य के विकास में बीसवीं शताब्दी के जैन मनीषियों का योगदान" यदि विद्वज्जनों, श्रद्धालुओं, पाठकों, अनुसंधाताओं और साहित्य-संस्कृति प्रेमियों को कुछ भी लाभान्वित कर सका, तो मैं अपने श्रम को सार्थक समयूँगा । दिनांक: 24.3.1991
विदुषामनुचर नरेन्द्र सिंह राजपूत