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उपाधि प्राप्त की । मात्र यहीं नहीं विद्यापीठ की छात्रा श्रीमती मीनल आशीष जैन ने जैन विश्वभारती संस्थान, लाडनूँ की वर्ष 2002 की एम. ए. जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्म-दर्शन की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर प्रावीण्य सूची में सम्पूर्ण भारत में प्रथम स्थान प्राप्त करने का गौरव हासिल किया है।
पी-एच.डी उपाधि
प्रो. सागरमलजी जैन के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में तथा राजगंगा ग्रन्थागार का लाभ लेकर शोधार्थियों द्वारा किये गये शोधकार्य संबंधी उपलब्धियों का विवरण इस प्रकार है
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साध्वी विनीतप्रज्ञाश्रीजी ( औपचारिक ), उत्तराध्ययनः एक अनुशीलन, गुजरात वि.वि.अहमदाबाद
साध्वी उदितप्रभाजी, जैन धर्म में ध्यान की विकास यात्रा महावीर से महाप्रज्ञ, जैन विश्वभारती, लाडनूँ (राज.)
साध्वी दर्शनकलाश्रीजी, जैन साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा, जैन विश्वभारती, लाडनूँ (राज.)
साध्वी प्रियलताश्रीजी, जैन धर्म में त्रिविध आत्मा की अवधारणा, जैन विश्वभारती, लाडनूँ (राज.)
साध्वी प्रियवंदनाश्रीजी, जैन दर्शन में समत्व योग, जैन विश्वभारती, लाडनूँ (राज)
श्रीमती विजयागोसावी (मुंबई), जैन योग और योगसूत्र, एक अध्ययन, जैन विश्वभारती, लाडनूँ (राज.)
श्री रणवीर सिंह भदौरिया, गीता में प्रतिपादित विभिन्न योगों का तुलनात्मक अध्ययन, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म. प्र. )
साध्वी दिव्यांजनाश्रीजी, संवेगरंगशाला : एक अध्ययन, जैन विश्वभारती, लाडनूँ (राज.)
साध्वी मोक्षरत्नाश्रीजी, आचारदिनकर में प्रतिपादित संस्कार और संस्कार विधि, जैन विश्वभारती, लाडनूँ (राज.)
10. साध्वी विचेक्षणश्रीजी, विशेषावश्यक के गणधर वाद और निह्रवाद का अध्ययन, जैन विश्वभारती, लाडनूँ (राज.)
11. साध्वी विजयश्रीजी, जैन श्रमणी संघ का अवदान, जैन विश्वभारती, लाडनूँ
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12. साध्वी स्थितप्रज्ञाश्रीजी, जैनमुनि की आहारचर्या, जैन विश्वभारती, लाडनूँ
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जैन दर्शन में तत्त्व और ज्ञान