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7. अर्हत्, पार्श्व और उनकी परम्परा, पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी,
1988
8.
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ऋषिभाषितः एक अध्ययन, राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान, जयपुर, 1988 जैन भाषा दर्शन, भो.ल. भारतीय संस्कृति मंदिर, दिल्ली - पाटण, 1986 10. जैनधर्म का यापनीय सम्प्रदाय, पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी,
1994
11. तत्त्वार्थसूत्र और उसकी परम्परा, पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी,
1994
12. अनेकान्त, स्याद्वाद और सप्तभंगी, पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी,
1990
13. सागर जैन विद्या भारती भाग - 1, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, 1994 14. सागर जैन विद्या भारती भाग - 2, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी 15. सागर जैन विद्या भारती भाग - 3, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी 16. सागर जैन विद्या भारती भाग - 4, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी 17. सागर जैन विद्या भारती भाग-5, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी 18. सागर जैन विद्या भारती भाग - 6, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी 19. सागर जैन विद्या भारती भाग -7, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी 20. Doctoral Dissertations in Jainism and Buddhism (With Dr. A.P. Singh), पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी, 1983 21. गुणस्थान सिद्धान्त : एक विश्लेषण, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, 22. जैनधर्म और तांत्रिक साधना, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, 1997 23. अहिंसा की प्रासंगिकता, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, 2002 24. स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी 2003 25. An Introduction to Jaina Sadhana, P.V.R. I Varanasi, 1995 26. Jaina Literature & Philosophy, P.V.R. I Varanasi, 1999 27. Peace, Religious Harmony and Solution of World Problems form Jaina Perspective, Prachya Vidyapeeth Shajapurs, 2001 28. Jain Philosophy of Language Tran. by Prof. S. Verma, P.V.R. I Varansai, 2005
1996
29. Rishibhashita: A Study, Prakrit Bharti, Jaipur
30. Jain Religion : Its Historical Journey of Evolution, P.V.R. I Varansai, 2007
सागरमल जीवनवृत्त
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