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________________ (प्रवर्तक) T देह | वासना 1 भोग I अभ्युदय (प्रेय स्वर्ग कर्म प्रवृत्ति प्रवतर्क धर्म | अलौकिक शक्तियों की उपासना समर्पणमूलक T भक्तिमार्ग 7 यज्ञमूलक मनुष्य (निवर्तक) चेतना विवेक विराग (त्याग) I निःश्रेयस् I मोक्ष (निर्वाण ) T सन्यास निवृत्ति I निवर्तक धर्म 1 आत्मोपलब्धि चिन्तन प्रधान देहदण्डनमूलक I I कर्ममार्ग ज्ञानमार्ग तपमार्ग निवतर्क (श्रमण) एवं प्रवर्तक (वैदिक) धर्मों के दार्शनिक एवं सांस्कृतिक प्रदेय प्रवर्तक और निवर्तक धर्मों का यह विकास भिन्न-भिन्न मनोवैज्ञानिक आधारों पर हुआ था, अतः यह स्वाभाविक था कि उनके दार्शनिक एवं सांस्कृतिक प्रदेय भिन्न-भिन्न हों । प्रवर्तक एवं निवर्तक धर्मों के इन प्रदेयों और उनके आधार पर उनमें रही हुई पारस्परिक भिन्नता को निम्न सारणी से स्पष्टतया समझा जा सकता है - बौद्ध धर्मदर्शन 597
SR No.006274
Book TitleJain Darshan Me Tattva Aur Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Ambikadutt Sharma, Pradipkumar Khare
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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