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7. आचारांग 1/2/6/104- परिण्णाय लोग सण्णं सव्वसो 8. सूत्रकृतांग (मधुकर मुनि) 1/1/1/7-8 9. वही 11-12 10. उत्तराध्ययनसूत्र 5/7-जणेणसद्धि होक्खामि। 11. वहीं 5/5-7 12. जहा य अग्गी अरणी उ सन्तो खीरे घटां तेल्ल महातिलेसु। एमेव जाया! सरीरंसि सत्ता संमुच्छई नासइ नावचिठे।
....... उत्तराध्ययनसूत्र, 14/18 13. नो इन्दियग्गेज्झां अमुत्तभावा अमुत्तभावा वि य होई निच्चो। .... वहीं, 14/19 14. सूत्रकृतांग द्वितीय श्रुतस्कन्ध अध्याय 1, सूत्र 648-656
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जैन दर्शन में तत्त्व और ज्ञान