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________________ देह वासना T भोग 1 अभ्युदय (प्रेय) समर्पणमूलक T भक्तिमार्ग स्वर्ग कर्म | प्रवृत्ति I प्रवर्तक धर्म | अलौकिक शक्तियों की उपासना यज्ञमूलक I कर्ममार्ग मनुष्य चेतना | विवेक | त्याग निःश्रेयस् 1 मोक्ष (निर्वाण ) कर्मसन्यास निवृत्ति I निवर्तक धर्मे आत्मोपलब्धि चिन्तन प्रधान 1 ज्ञानमार्ग निवर्तक एवं प्रवर्तक धर्मों के दार्शनिक एवं सांस्कृतिक प्रदेय देहदण्डनमूलक I तमार्ग प्रवर्तक और निवर्तक धर्मों का विकास भिन्न-भिन्न मनोवैज्ञानिक आधारों 1 पर हुआ था, अतः यह स्वाभाविक था कि उनके दार्शनिक एवं सांस्कृतिक प्रदेय भिन्न-भिन्न हों । प्रवर्तक एवं निर्वतक धर्मों के इन प्रदेयों और उनके आधार पर उनमें रही हुई पारस्परिक भिन्नता को निम्न सारिणी से स्पष्टतया समझा जा सकता है. - जैन धर्मदर्शन 477
SR No.006274
Book TitleJain Darshan Me Tattva Aur Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Ambikadutt Sharma, Pradipkumar Khare
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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