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14. ततः पदं तत्परिमार्गितव्य यस्मिन् गता न विवर्तन्ति भृयः - गीताज्ञान 4 15. (अ) यंप्राप्य न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम। गीता 8/21
(ब) यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम। गीता 15/6/ (स) मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम्।
नाप्नुवन्ति महात्मानं संसिद्धिं परमां गताः। गीता 8/15 16. गीता-8/20/21 17. अक्षरं ब्रह्म परमं स्वभावो हेयात्ममुच्यते। गीता 8/3 18. शान्तिं निर्वाणपरमां। गीता 6/5 19. सुखेन ब्रह्म संस्पर्शमत्यन्तं सुखमरनुत्ते। गीता 6/21 20. सुखमात्यन्तिकं यत्तबुद्धिग्राह्यमतीदिन्द्रयम्। गीता 6/21 21. देखिये-इन साईक्लोपेडिया आफ इथिक्स एण्ड रीलिजियन। 22. आस्पेक्टस् आफ महायान इन रिलेशन टु हीनयान। 23. द्रव्यं सत् प्रतिसंख्या निरोधः सत्यचतुष्टय-निर्देश-निद्धिष्ट त्वात् मार्ग सत्यैव इति
वैभाषिकाः -यशोमित्र-अभिधर्म कोष व्याख्या पृष्ठ 17 24. बुद्धिस्ट निर्वाण पृष्ठ 27 25. आस्पेक्ट आफ महयान इन रिलेशन टू हीनयान पृष्ठ 162 26. सेंट्रल फिलासफी आफ बुद्धिज्म 272-73 27. बुद्धिस्ट फिलासफी आफ युनिवर्सल फ्लक्स पृष्ठ 252 28. (अ) ए कम्पेरेटिव स्टडी आफ दी कानसेफ्ट आफ लिबरेशन इन इंडियन फिलासफी,
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(ब) बौद्ध दर्शन मीमांसा, पृष्ठ 147 29. लंकावतार सूत्र-2/62 30. क्लेशज्ञेयावरण प्रहाणमपि सर्वज्ञत्वाधिगमार्थम्- स्थिरमति त्रिशिको वि. भा. पृ.15 31. अचित्तोअनुपलम्भोअसौ ज्ञानं लोकोचरं चतत। आश्रयस्यपरावृतिद्धियातदौष्ठुल्य
हानितः-त्रिंशिका 29 32. स एवानासवो धातुरचिन्त्यः कुशलो ध्रुवः-त्रिंशिका-30 33. ए क्रिटीकल सर्वे आफ इंडियन फिलासफी। 34. बौद्ध दर्शन मीमांसा 35. महायान सूत्रालंकार 9/60, महायान-शान्तिभिक्षु पृ. 73 36. भावाभाव परामर्शक्षयो निर्वाणं उच्यते। माध्यमिक कारिका वृत्ति पृ. 524, उद्धृत दी
सेंट्रल फिलासफी आफ बुद्धिज्म -टी.आर.व्ही.मूर्ती पृ. 274 37. अप्रहाणम सम्प्राप्त मनुच्छिन्नमशाश्वतम्।?
अनिरुद्ध मनुत्पन्नेम तन्निर्वाणमुच्यते।। -माध्यमिक कारिका वृत्ति पृ. 521
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जैन धर्मदर्शन
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