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धूर्ताख्यान में 'भारत' नाम आता है महाभारत नहीं। अतः इतना निश्चित है कि कथानक के आद्यस्रोत की पूर्व सीमा ईसा की 4 थी या 5वीं शती से आगे नहीं जा सकती है। पुनः निशीथभाष्य और निशीथचूर्णी में उल्लेख होने से धूर्ताख्यान के आद्यसोत की अपर या अन्तिम सीमा इनके पश्चात् नहीं हो सकती है। इन ग्रन्थों का रचनाकाल ईसा की सातवीं शती का उत्तरार्ध हो सकता है। अतः धूर्ताख्यान का आद्यस्रोत ईसा की 5वीं से 7वी शती के बीच का है। यदि हरिभद्र ही इसके मौलिक रूप में लेखक हैं तो फिर उनका समय विक्रम संवत् 585 मानने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
जैन धर्मदर्शन
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