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अजीव पदार्थ
५६. सैकड़ों मन पुद्गल भस्म हो चुके परन्तु द्रव्य पुद्गल जरा भी नहीं जले। जो उत्पन्न हुए वे भाव पुद्गल थे और जिनका विनाश हुआ वे भी भाव पुद्गल ।
६०. सैकड़ों मन पुद्गल उत्पन्न होते हैं परन्तु द्रव्य पुद्गल उत्पन्न नहीं होता। ये जो उत्पन्न हुए हैं वे ही विनाश को प्राप्त होंगे परन्तु जो अन्नुत्पन्न पुद्गल द्रव्य हैं उनका विनाश नहीं होगा ।
६१.
६२.
६३.
द्रव्य का तीनों ही काल में कभी नाश नहीं होता । उत्पत्ति और विलय भाव पुद्गलों का होता है। ये भाव पुद्गल द्रव्य की पर्यायें हैं |
उत्तराध्ययन सूत्र के ३६ वें अध्याय में पुद्गल को शाश्वत और अशाश्वत कहा है, वह इसी द्रव्य और भाव पुद्गल की भेद- अपेक्षा से - इसमें जरा भी शंका मत लाना ।
अजीव द्रव्य का बोध कराने के लिए यह ढाल श्रीनाथद्वारा में सं० १८५५ की वैशाख बदी पंचमी बुधवार के दिन रची
है ।
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द्रव्य पुद्गल शाश्वतता
भाव पुद्गल की विनाशशीलता
की
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