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________________ ७५२ नव पदार्थ ६. मोक्ष-मार्ग और सिद्धों की समानता (गा० १७-१९) : उत्तराध्ययन में कहा है : वस्तु स्वरूप स्वरूप को जाननेवाले-परमदर्शी जिनों ने ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप-इस चतुष्टय को मोक्ष-मार्ग कहा है। इस मार्ग को प्राप्त हुए जीव सुगति को पाते हैं। सर्व द्रव्य, उनके सर्व गुण और उनकी सर्व पर्यार्यों के यथार्थ ज्ञान को ही ज्ञानी भगवान ने 'ज्ञान' कहा है। स्वयं-अपने आप या उपदेश से नौ तथ्य भावों (नव पदार्थों) के अस्तित्व में आन्तरिक श्रद्धा-विश्वास होना सम्यक्त्व है। सच्ची श्रद्धा बिना चारित्र संभव नहीं; श्रद्धा होने से चारित्र होता है। यहाँ इन गाथाओं में दो बातें कही गयी हैं : (१) ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप-यह मुक्ति-मार्ग है और (२) सर्व सिद्धों के सुख समान हैं। इन पर नीचे क्रमशः प्रकाश डाला जाता है : (१) ज्ञान, दर्शन चारित्र और तप मोक्ष-मार्ग है : आगम में कहा है : “सम्यक्त्व और चारित्र युगपत् होते हैं, वहाँ पहले सम्यक्त्व होता है। जिसके श्रद्धा नहीं है, उसके सच्चा ज्ञान नहीं होता। सच्चे ज्ञान बिना चारित्रगुण नहीं होते। चारित्रगुणों के बिना कर्म-मुक्ति नहीं होती। कर्म-मुक्ति बिना निर्कण नहीं होता। ज्ञान से जीव पदार्थों को जानता है, दर्शन से श्रद्धा करता है, चारित्र से आस्रव का निरोध करता है और तप से कर्मों की निर्जरा कर शुद्ध होता है। सम्यक् ज्ञान, दर्शन, चारित्र तप और उपयोग-ये मोक्षार्थी जीव के लक्षण हैं।" स्वामीजी कहते हैं-जितने भी सिद्ध हुए हैं वे इसी मार्ग से सिद्ध हुए हैं। अन्य मार्ग नहीं जो जीव को संसार से मुक्त कर सके । पन्द्रह प्रकार के जो सिद्ध बतलाये हैं, उन सब का यही मार्ग रहा । सम्यक् ज्ञान-दर्शन-चारित्र-तप का मार्ग ही सर्वोदय का मार्ग है। सिद्धि का कोई दूसरा मार्ग नहीं। सम्यक् ज्ञान-दर्शन-चारित्र और तप से सिद्धि-क्रम किस प्रकार बनता है। इसके तीन वर्णन आगमों में मिलते हैं। इन्हें संक्षेप में नीचे दिया जाता है। पहला वर्णन इस प्रकार है : "जब मनुष्य जीव और अजीव को अच्छी तरह जान लेता है, तब सब जीवों की बहुविध गतियों को भी जान लेता है। जब सर्व जीवों की बहुविध गतियों को जान लेता १. उत्त० २८.२-३. ५, १५ २६-३०, ३५, ११
SR No.006272
Book TitleNav Padarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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