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________________ मोक्ष पदार्थ : टिप्पणी ३ ७४३ स्थान को पहुंच साकार ज्ञानोपयोग युक्त सिद्ध, बुद्ध आदि होकर समस्त दुःखों का अन्त करता है।" इसी आगम में अन्यत्र कहा है : “सिद्ध कहाँ जाकर रुकते हैं, कहाँ ठहरते हैं ? शरीर का त्याग कहाँ करते हैं ? और कहाँ जाकर सिद्ध होते हैं-ये प्रश्न हैं ? सिद्ध अलोक की सीमा पर रुकते हैं और लोक के अग्रभाग पर प्रतिष्ठित हैं । यहाँ शरीर छोड़ कर लोकाग्र पर जाकर सिद्ध होते हैं। महाभाग सिद्ध भव-प्रपंच से मुक्त हो श्रेष्ठ सिद्ध गति को प्राप्त हो लोक के अग्रभाग पर स्थित होते हैं। ये सिद्ध जीव अरूपी और जीवधन हैं। ज्ञान और दर्शन इनका स्वरूप है। जिनकी उपमा नहीं ऐसे अतुल सुख से ये संयुक्त होते हैं। सर्व सिद्ध ज्ञान और दर्शन से संयुक्त होते हैं और संसार से निस्तीर्ण हो सिद्धि गति को पा लोक के एक देश में रहते हैं।" यहाँ प्रश्न उठते हैं-सिद्धि-स्थान क्या है ? कर्म-मुक्त जीव ऊर्ध्वगति क्यों करते हैं ? लोकाग्र पर जाकर क्यों ठहर जाते हैं ? उनकी अवगाहना क्या होती है ? इनका उत्तर नीचे दिया जाता है। सिद्ध-स्थान पर वर्णन आगमों में इस प्रकार मिलता है : “सर्वार्थ सिद्ध नाम के विमान से बारह योजन ऊपर छत्र के आकार की इषत्प्राग्भार नाम की एक पृथ्वी है। वह ४५ लाख योजन आयाम (लम्बी) और उतनी ही विस्तीर्ण है। उसकी परिधि इससे तीन गुनी से कुछ अधिक है। यह पृथ्वी मध्य में आठ योजन मोटी है। फिर धीरे-धीरे पतली होती-होती अन्त में मक्खी की पाँख से भी पतली है। यह पृथ्वी स्वभाव से ही निर्मल, श्वेत सुवर्णमय तथा उत्तान छत्र के आकार की है। यह शंख, अंक नामक रत्न और कुंद पुष्प जैसी पांडुर, निर्मल और सुहावनी है। उस सीता नाम की पृथ्वी से एक योजन ऊपर लोकांत है। इस योजन का जो अन्तिम कोस है उसके छठे भाग में सिद्ध रहे हुए हैं।" वेदनीय आदि कर्मों और औदारिक आदि शरीरों से छुटकारा पाते ही जीव ऊर्ध्वगति से समश्रेणी में (सरल-सीधी रेखा में) तथा अवक्र गति से मोक्षस्थान को जाता है। रास्ते में वह कहीं भी नहीं अटकता और सीधा लोक के अग्रभाग पर जाकर स्थित हो जाता है। वहां पहुंचने में जीव को एक समय लगता है। १. २. ३. उत्त० २६.७३ उत्त० ३६.५६-५७, ६४, ६७-८ उत्त० ३६.५८-६३
SR No.006272
Book TitleNav Padarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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