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मोक्ष पदार्थ
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ज्ञान से जीव सर्व भावों को जानता है। दर्शन से उनकी यथार्थ प्रतीति करता है । चारित्र से कर्मों का आना रुकता है और तप से जीव कर्मों को बिखेर देता है।
इन पन्द्रह भेदों से जो भी सिद्ध हुए हैं उन सब की करनी एक सरीखी समझो! तथा मोक्ष में उन सब का सुख भी समान ही है। इन पन्द्रह भेदों से अनन्त सिद्ध हुए हैं।
मोक्ष पदार्थ को समझाने के लिए यह ढाल श्रीजीद्वार में सं० १८५६ की चैत्र शुक्ला ४ बार शनिवार को की है।
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