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नव पदार्थ
१८. ग्यांन थी जाणे लेवें सर्व भाव ने रे, दसरण सूं सरध लेवे सयमेव रे। ___ चारित सूं करम रोके छे आवता रे, तपसा सूं करमां नें दीया खेव रे।।
१६. ए पनरेंइ भेदें सिध हूआं तके रे, सगला री करणी जांणो एक रे।
वले मोष में सुख सगला रा सारिषा रे, ते सिध छे अनंत भेदें अनेक रे।।
२०. मोष पदार्थ ने ओलखायवा रे, जोड कीधी छे नाथदुवारा मझार रे।
समत अठारें ने वरस छपनें रे, चेत सुद चोथ ने सनीसर वार रे।।