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________________ बंध पदार्थ : टिप्पणी १० ७१६ जोड़े देता है। जिस तरह दीपक वाट द्वारा तेल को ग्रहण कर अपनी उष्णता से उसे ज्वाला रूपसे परिणामता है, उसी प्रकार जीव काषायिक विकार से योग्य पुद्गलों को ग्रहण कर उसे कर्मभावरूप से परिणामता है। 'कर्मपुद्गल जीव द्वारा गृहीत होकर कर्मरूप परिणाम पाते हैं, इसका अर्थ यह है कि उसी समय उसमें चार अंशों का निर्माण होता है; येही अंश बंध के प्रकार हैं। जिस तरह बकरी, गाय, भैंस आदि द्वारा खाया गया घास आदि दूध रूप में परिणमित होता है, उस समय असमें मधुरता का स्वभाव बंधा है; उस स्वभाव के अमुक वक्त तक उसी रूप में टिके रहने की काल-मर्यादा निर्मित होती है; इस मधुरता में तीव्रता, मंदता आदि विशेषताएँ आती हैं; और इस दूध का पौद्गलिक परिणाम भी साथ ही में निर्मित होता है। उसी तरह जीव द्वारा गृहीत होने पर उसके प्रदेशों में संश्लेष पाए हुए कर्म पुद्गलों में भी चार अंशों का निर्माण होता है: प्रकृति, स्थिति, अनुभाव और प्रदेश । १. कर्म पद्गुलों में जो ज्ञान को आवृत करने का, दर्शन को अटकाने का, सुख-दुःख अनुभव कराने वगैरह का जो भाव बंधता है, वह स्वभाव-निर्माण ही प्रकृतिबंध है । २. स्वभाव बंधने के साथ ही उस स्वभाव से अमुक वक्त तक च्युत न होने की मर्यादा पुद्गलों में निर्मित होती है, इस काल मर्यादा का निर्माण ही स्थितिबंध है । ३. स्वभाव के निर्माण होने के साथ ही उसमें तीव्रता, मंदता आदि रूप फलानुभव करानेवाली विशेषताएँ बंधती । ऐसी विशेषताएँ ही अनुभावबंध है । ४. गृहीत होकर भिन्न-भिन्न स्वभाव में परिणाम पाती हुई पुद्गल - राशि स्वभाव के अनुसार अमुक-अमुक परिणाम में बंट जाती है, यह परिमाण-विभाग ही प्रदेशबंध है'।" १०. कर्मों की प्रकृतियाँ और उनकी स्थिति (गा० १२-१८) : कर्म की प्रकृतियों का वर्णन स्वामीजी पुण्य (ढा० १) और पाप की ढाल में कर चुके हैं अतः उनका पुनः विवेचन यहाँ नहीं किया है । पाठकों की सुविधा के लिए हम कर्मों की मूल प्रकृतियों और उनकी उत्तर - प्रकृतियों की एकत्र तालिका नीचे दे रहे हैं : १. तत्त्वार्थसूत्र (गुज० तृ० आ०) पृ० ३२६-३२७ २. उत्त० ३३ प्रज्ञापना पद भगवती ८.१० समवायाङ्ग सम० ४२ ठाणाङ्ग १०५ ४६४, ४८८ ५६६. ६६८:
SR No.006272
Book TitleNav Padarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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