SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 670
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ · निर्जरा पदार्थ (ढाल : २) : टिप्पणी ७ E४५ अभिग्रह-द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव के भेद से चार प्रकार का कहा गया है। उनके लक्षण पहले दिये जा चुके हैं.। (देखिए पृ० ६४०-१) ७. रसपरित्याग (गा० १३) : रसों के परिवर्जन को रस-परित्याग व्रत कहते हैं। यह अनेक प्रकार का कहा गया है। औपपातिक सूत्र में इसके नौ भेद मिलते हैं। वे इस प्रकार हैं-(१) निर्विकृति, (२) प्रणीतरसपरित्याग, (३) आचाम्ल, (४) अवश्रावणगतसिक्थभोजन, (५) अरसाहार, (६) विरसाहार, (७) अन्त आहार, (८) प्रान्त्य आहार और (६) लक्षाहार । संक्षेप में इनका विवरण इस प्रकार है : . (१) निर्विकृति : विकृतियां नौ हैं-दूध, दही, नवनीत, घी, तेल, गुड़, मधु, मद्य १. उत्त० ३०.२६ खीरदहिसप्पिमाई पणीयं पाणभोयणं । परिवज्ज्णं रसाणं तु भणियं रसविवज्जणं ।। औपपातिक सम० ३० . से किं तं रसपरिच्चाए ? २ अणेगविहे पण्णत्ते । तं जहा–१ निव्वीइए २ पणीयरस-परिच्चाए ३ आयंबिलिए ४ आयामसित्थभोई ५ अरसाहारे ६ विरसाहारे ७ अंताहारे ८ पंताहारे ६ लूहाहारे। ३. ठाणाङ्ग ६.३.६७४ : णव विगतीतो पं० तं० खीरं दधिं णवणीतं सप्पिं तेलं गुलो महुँ मज्जं मंसं . ४. वृद्धगाथा के अनुसार गाय, भैंस, ऊंटनी, बकरी और भेड़ का दूध । ५. वृद्धगाथा में कहा गया है कि ऊँटनी के दूध का दही आदि नहीं होता अतः गाय, भैंस, बकरी और भेड़ के भेद में दही, नवनीत और घी चार-चार प्रकार के होते हैं। ६. वृद्धगाथा के अनुसार तिल, अलसी, कुसुंभ और सरसव का तेल। अन्य महुआ आदि के तेल विकृति में नहीं आते। ७. वृद्धगाथा के अनुसार गुड़ दो प्रकार का होता है-द्रवगुड़ (नरम गुड़) और पिंडगुड़ (कठोर गुड़)। ८. वृद्धगाथा के अनुसार मधु तीन प्रकार का होता है (१) माक्षिक-मक्खी सम्बन्धी, (२) कोतिक-छोटी मक्खी सम्बन्धी और (३) भ्रमरज-भ्रमर सम्बन्धी। ६. वृद्धगाथा के अनुसार मद्य दो तरह का होता है-(१) काष्ठनिष्पन्न-ताड़ी आदि और (२) पिष्टनिष्पन्न-चावल आदि के पिष्ट से बना।
SR No.006272
Book TitleNav Padarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy