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नव पदार्थ
५४. इण निरजरा तणी करणी छे निरवद, तिण सूं करमां री निरजरा होय जी।
निरजरा ने निरजरा री करणी, ए तो जूआजूआ , दोय जी।।
५५. निरजरा तो मोष तणो अंस निश्चें, देश थकी उजलो छ जीव जी।
जिणरे निरजरा करण री चूप लागी छ, तिण दीधी मुगत री नींव जी।।
५६. सहजां तो निरजरा अनाद री हुवे छे, ते होय २ ने मिट जाय जी।
करम बंधण सूं निवरत्यो नांहीं, संसार में गोता खाय जी।।
५७. निरजरा तणी करणी ओलखावण, जोड कीधी नाथदुवारा मझार जी।
समत अठारे वरस छपनें, चेत विद बीज ने गुरवार जी।।