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निरजरा पदार्थ (ढाल : २)
दुहा
' १. निरजरा गुण निरमल कह्यों, ते उजल गुण जीव रो वशेख ।
ते निरजरा हुवें छे किण विधे, सुणजो आंण ववेक ।।
२. भूख तिरषा सी तापादिक, कष्ट भोगवें विविध परकार ।
उदे आया ते भोगव्यां, जब करम हुवें छे न्यार ।।
३. नरकादिक दुःख भोगव्यां, करम घस्यां थी हलको थाय । ___ आ तो सहजां निरजरा हुइ जीव रे, तिणरो न कीयों मूल उपाय ।।
४. निरजरा तणो कामी नहीं, कष्ट करें , विविध परकार ।
तिणरा करम अल्प मातर झरें, अकांम निरजरा नों एह विचार।।
५. अह लोक अर्थे तप करें, चक्रवतादिक पदवी कांम।
केइ परलोक में अर्थे करें, नहीं निरजरा तणा परिणाम ।।
६. केइ जस महिमा वधारवा, तप करें छे तांम।
इत्यादिक अनेक कारण करें, ते निरजरा कही छे अकांम।।
७. सुध करणी करें निरजरा तणी, तिण सूं करम कटें छे तांम।
थोडो घणों जीव उजलो हुवें, ते सुणजो राखे चित ठांम ।।