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नव पदार्थ
१०. परिग्रह राखे ते पांचमो आश्रव, परिग्रह राखे ते पिण जीवो रे।
जीव रा परिणाम , मूर्छा परिग्रह, तिण सूं लागे , पाप अतीवो रे ।।
११. पांच इंद्रयां ने मोकली मेले ते आश्रव, मोकली मेले ते जीव जाणों रे।
राग धेष आवें सब्दादिक उपर, यांने जीव रा भाव पिछांणो रे।।
१२. सुरत इंद्री तो सब्द सुणे छे, चषु इंद्री रूप ले देखो रे।
घ्राण इंद्री गन्ध में भोगवें छे, रस इंद्री रस स्वादे वशेषो रे।।
१३. फरस इंद्री तो फरस भोगवे ,, पांचूं इंद्यां नों एह सभावो रे।
यां सूं राग ने धेष करें ते आश्रव, तिणनें जीव कहीजे इण न्यावो रे।।
१४. तीन जोगां ने मोकला मेले ते आश्रव, मोकला मेले ते जीवो रे।
त्यांने अजीव कहे ते मूढ मिथ्याती, त्यांरा घट में नहीं ग्यांन रो दीवो रे।।
१५. तीन जोगां रो व्यापार जीव तणो छे, ते जोग छे जीव परिणामो रे। ___ माठा जोग छे माठी लेस्या रा लषण, जोग आतमा कही छे तांमो रे।।
१६. भंड उपगरण सूं कोई करें अजेंणा, तेहिज आश्रव जांणो रे।
ते आश्रव सभाव तो जीव तणो छ, रूडी रीत पिछांणो रे।।
१७. सुचीकुसग सेवे ते आश्रव, सुचीकुसग सेवे ते जीवो रे।
सुचीकुसग सेवे तिणनें अजीव कहें, त्यांरे उंडी मिथ्यात री नींवो रे।।