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८. बंध पदार्थ
पृ० ६९३-७३०
बंध पदार्थ और उसका स्वरूप (दो १-३); कर्म-प्रवेश के मार्ग : जीव- प्रदेश (दो० ४); बंध के हेतु (दो० ५); बंध से मुक्त होने का उपक्रम (दो ६-८ ); बन्ध आठ कर्मों का होता है (दो० ६) द्रव्य बन्ध और भाव बन्ध (गा० १-३); पुण्य-बन्ध और पाप-बन्ध का फल ( गा० ४ - ५ ); कर्मों की सत्ता और उदय (गा० ६); बन्ध के चार भेद (गा० ७-१२); कर्मों की स्थिति (गा० १३ - १८ ) : अनुभाग बन्ध ( गा० १९-२१) प्रदेश बन्ध और तालाब का दृष्टानत ( गा० २२-२६) मुक्ति की प्रक्रिया ( गा० २७-२८) मुक्त जीव ( गा० २६); रचना-स्थल व काल ( गा० ३०) |
टिप्पणियाँ
( १. बन्ध पदार्थ पृ० ७०६: २. बन्ध और जीव की परवशता पृ० ७०८: ३. बंध और तालाब का दृष्टान्त पृ० ७०६: ४. जीव- प्रदेश और कर्म- प्रदेश पृ० ७०६; ५. बन्ध-हेतु पृ० ७१०; ६. आस्रव, संवर, बन्ध, निर्जरा और मोक्ष पृ० ७१४; ७. बन्ध पुद्गल की पर्याय है पृ० ७१५: ८. द्रव्य बन्ध और भाव बन्ध पृ० ७१५; ६. बन्ध के चार भेद पृ० ७१६; १०. कर्मों की प्रकृतियां और उनकी स्थिति पृ० ७१६; ११. अनुभावबन्ध और कर्म फल पृ० ७२३; १२. प्रदेश बंध पृ० ७२६; १३. बन्धन - मुक्ति पृ० ७२९)
९. मोक्ष पदार्थ
पृ० ७३१-७५४
नवाँ पदार्थ : मोक्ष (दो० १); मुक्त जीव के कुछ अभिवचन (दो २-५); मोक्ष-सुख ( गा० १-५); आठ गुणों की प्राप्ति ( गा० ६); जीव सिद्ध कहाँ होता है ? (गा० ७); सिद्धों के आठ गुण (गा० ८-१० ); मोक्ष के अनन्त सुख ( गा० ११-१२ ); सिद्धों के पन्द्रह भेद (गा० १३-१६); सब सिद्धों की करनी और सुख समान हैं ( गा० १७ - १६); उपसंहार (गा० २०) ।
टिप्पणियाँ
( १. मोक्ष नवाँ पदार्थ है पृ० ७४०; २. - मोक्ष के अभिवचन पृ० ४४१; ३. सिद्ध और उनके आठ गुण पृ० ७४२ ४. सांसरिक सुख और मोक्ष सुखों की तुलना पृ० ७४७; ५. - पन्द्रह प्रकार के सिद्ध पृ० ७५०; ६. मोक्ष मार्ग और सिद्धों की समानता पृ० ७५२ । १० जीव- अजीव
पृ० ७५५-७६८
जीव अजीव का अज्ञान (दो० १-२ ); नौ पदार्थ दो कोटियों में समाते हैं (दो० ३-४); पदार्थों को पहचानने की कठिनाई ( गा० १); सात पदार्थों का जीवाजीव मानना मिथ्यात्व