SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 235
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१० नव पदार्थ ये तीनों बंध हेतु निरवद्य हैं। शुभ योग हैं। भगवान की आज्ञा में हैं । दीर्घायुष्य पुण्यकर्म की प्रकृति है । उसका बंध शुभ योगों से है, यह इस पाठ से सिद्ध है । 'स्थानाङ्ग सूत्र में कहा है: प्राणातिपातविरमण, मृषावादविरमण, अदत्तादानविरमण, मैथुनविरमण और परिग्रहविरमण इन पांचों स्थानों से जीव कर्म-रज को छोड़ता है : पचहिं ठाणेहिं जीवा रतं वमंति, तं० - पाणातिवातवेरमणेणं जाव परिग्गहवेरमणेणं (५.२.४२३) इससे यह भी सिद्ध होता है कि जिन बोलों से दीर्घायुष्य कर्म का बंध बताया गया है उनसे कर्मों की निर्जरा भी होती है । ६. अशुभ - शुभ दीर्घायुष्यकर्म के बंध - हेतु (गा० ७-९) : तिहिं ठाणेहिं जीवा असुभदीहाउयत्ताए कम्मं पगरेंति, तंजहा पाणे अतिवातित्ता भवइ मुसं वइत्ता भवइ तहारूवं समणं वा माहणं वा हीलेत्ता निंदित्ता खिंसेत्ता गरहित्ता अवमाणित्ता अन्नयरेण अमणुन्नेणं अपीतिकारतेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभेत्ता भवइ, इच्चेतेहिं तिहिं ठाणेहिं जीवा असुभदीहाउअत्ताए कम्मं पगरेंति (३.१. १२५) यहाँ अशुभ दीर्घायुष्यकर्म के बंध हेतु इस प्रकार कहे गये हैं : १. प्राणतिपात, २. मृषावाद और ३. तथारूप श्रमण निर्ग्रथ की हीलना, निन्दा, खिंसा, गर्हा और अपमान करते हुए अमनोज्ञ ओर अप्रीतिकारक आहार का प्रतिलाभ । प्राणातिपात आदि अशुभ योग हैं। सावद्य हैं। जिन-आज्ञा के विरुद्ध हैं । तीव्र परिणाम पूर्वक इन अशुभ कर्त्तव्यों को करने से अशुभ दीर्घायुष्य का बंध होता है। शुभ दीर्घायुष्यकर्म के बंध-हेतुओं का सूचक पाठ इस प्रकार है : तिर्हि ठाणेहिं जीवा सुभदीहाउअत्ताते कम्मं पगरेंति, तंजहा - णो पाणे अतिवातित्ता भवइ णो मुसं वदित्ता भवइ तहारूवं समणं वा माहणं वा वंदित्ता नमंसित्ता सक्कारिता समाणेत्ता कल्लाणं मंगलं देवत्तं चेतितं पज्जुवासेत्ता मणुन्नेणं पीतिकारएणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभित्ता भवइ, इच्चेतेहिं तिहिं ठाणेहिं जीवा सुहदीहाउअत्ताते कम्मं पगरेंति (३.१.१२५) यहाँ शुभ दीर्घायुष्यकर्म के बंध हेतु इस प्रकार कहे गये हैं :
SR No.006272
Book TitleNav Padarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy