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________________ अजीव पदार्थ : टिप्पणी ३१ भेद और (५) अनुतटिका-छाल दूर करने की तरह के भेद-जैसे ईख का छीलना। १४. सूक्ष्मत्व स्थूलत्व-बेल से बेर का छोटा होना सूक्ष्मत्व है। बेर से बेल का बड़ा होना स्थूलत्व है। १५. अगुरुलघुत्व : 'लोक प्रकाश' में अगुरुलघुत्व और गति को पुद्गल का परिणाम कहा है। परमाणु गुरुलघु रूप से परिणत नहीं होता वह अगुरुलघु है। पुद्गल स्कंध गुरुलघु-परिणाम वाले हैं। १६. गति : एक स्थल से दूसरे स्थल जाना गति परिणाम है। ऊपर कहे हुये शब्दादि सोलह भेद पुद्गल के परिणाम हैं। वर्ण, गंध, रस और स्पर्श ये हरेक पुद्गल में होते हैं, इसलिये ये पुद्गल के लक्षण हैं। ये सब पुद्गलों में एक साथ पाये जाने से पुद्गल के साधारण धर्म हैं। अवशेष शब्दादि परिणाम पुद्गल के विशेष परिणाम हैं। वे पुद्गलों के सामान्य धर्म नहीं, विशेष धर्म हैं, क्योंकि कुछ में पाये जाते हैं और कुछ में नहीं। जब परमाणु स्कंध रूप में परिणत होते हैं तब उनकी जो अवस्थायें होती हैं जो कार्य उपलब्ध होते हैं, वे शब्दादि रूप हैं । अतः वे सब भाव पुद्गल हैं। __ठाणाङ्ग में पुद्गल के दश ही परिणाम बतलाये गये हैं : (१) बंधन परिणाम, (२) गति परिणम, (३) संस्थान परिणाम, (४) भेद परिणाम, (५) वर्ण परिणाम, (६) रस परिणाम, (७) गंध परिणाम, (८) स्पर्श परिणाम, (६) अगुरुलघु परिणाम और (१०) शब्द परिणाम। ५ : घट-पटह-वस्त्रा-शस्त्र-भोजन और विकृतियाँ घट आदि का उल्लेख पौद्गलिक वस्तुओं के संकत रूप में हैं। घट, पटह, वस्त्र, भूषण, खाद्य-पदार्थ आदि उनके कुछ उदाहरण हैं। जिस वर्ण गंध, रस स्पर्श हैं वे सभी वस्तुएँ पौद्गलिक हैं। उनकी संख्या अनन्त है। मन पौद्गलिक है। दसों विकृतियाँ घृत, दूध, दही, गुड़, तेल, मिठाई, मद्य, मांस, मधु और मक्खन पौद्गलिक हैं। सारी पौद्गलिक वस्तुएँ द्रव्य-पुद्गलों से निष्पन्न हैं-उनके रूपान्तर हैं। उन्हें भाव-पुद्गल कहा जाता है। १. ठाणाङ्ग १०.१.७१३ की टीका। पण्णवणा में फली को फोड़ करदाने के अलग होने को उत्करिका और कूप, नदी आदि के अनुतरिका भेद को अनुतटिका कहा है। २. ठाणाङ्ग १०.१.७१३: पञ्चास्तिकाय २.१२६ ३. भगवती १३.७: प्रवचनसार २.६१
SR No.006272
Book TitleNav Padarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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