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अनुक्रमणिका
१. जीव पदार्थ
पृ० १-४६ आदि मङ्गल (दो० १); नव पदार्थ और सम्यकत्व (दो २-५); द्रव्य : जीव : भाव जीव (गा० १-२): जीव के तेईस नाम-जीव (गा० ३-४), जीवास्तिकाय (गा० ५), प्राण, भूत (गा० ६), सत्त्व (गा० ७), विज्ञ (गा० ७), वेद (गा० ८), चेत्ता (गा० ६), जेता (गा० १०), आत्मा (गा० ११), रंगण (गा० १२). हिंडुक (गा० १३), पुद्गल (गा० १४) मानव (गा० १५). कर्ता (गा० १६), विकर्ता (गा० १७), जगत् (गा० १८), जन्तु (गा० १६), योनि (गा० २०), स्वयंभूत (गा० २१), सशरीरी (गा० २२), नायक (गा० २३), अन्तरात्मा (गा० २४), लक्षण, गुण, पयार्य भाव जीव (गा० २५), पांच भावों का वर्णन (गा० २६-३४), पांच भावों से जीव के क्या होता है ? (गा० २७-३१), पाँच भाव कैसे होते हैं ? (गा० २६-३४), भाव जीवों का स्वभाव (गा० ३५), वे कैसे उत्पन्न होते हैं ? (गा० ३६), द्रव्य जीव का स्वरूप (गा० ३७-४२), द्रव्य जीव के लक्षण आदि सब भाव जीव हैं (गा० ४३), क्षायक भाव : स्थिर भाव (गा० ४४), जीव शाश्वत व अशाश्वत कैसे ? (गा० ४५-४६), सब-पर्यायें-भाव जीव (गा० ४७). आश्रव भाव जीव (गा० ४८), संवर भाव जीव (गा० ४६), निर्जरा-भाव जीव (गा० ४७), आश्रव भाव जीव (गा० ४८), संवर भाव जीव (गा० ४६), निर्जरा-भाव जीव (गा० ५०), मोक्ष-भाव जीव (गा० ५१), आश्रव संवर, निर्जरा-इन भाव जीवों का स्वरूप (गा० ५२-५४), संसार की ओर जीव की सम्मुखता व विमुखता (गा० ५५-५६). सर्व सावद्य कार्य भाव जीव (गा० ५७), सुविनीत अविनीत भाव जीव (गा० ५८), लौकिक और आध्यात्मिक भाव जीव (गा० ५६), उपसंहार (गा०६१), रचना स्थान और काल (गा० ६२)।
टिप्पणियाँ _[१. वीर प्रभु पृ० २०, २. गणधर गौतम पृ० २१, ३. नवपदार्थ पृ० २२, ४. - समकित (सयम्क्त्व) पृ० २४ ५. जीव पदार्थ पृ० २५); ६. द्रव्य जीव और भाव जीव पृ० २४; ७-जीव के तेईस नाम पृ० २६; ८. भाव जीव पृ० ३६; ६ पांच भाव पृ० ३८;;