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________________ 2928.महामंत्र णमोकार : एक वैज्ञानिक अन्वेषण आकृति के सम्बन्ध की ओर भी पुष्ट करता है। उन्होंने टेलोस्कोप नाम का यन्त्र बनाया। यह यन्त्र बोले गये शब्दों को माइक्रोफोन से निकालता है और सामने वाले पर्दे पर उनके आकारों को प्रस्तुत कर देता है-उन्हें आकारों में बदल देता है। ओम का उच्चारण करने पर इस यन्त्र के कारण पर्दे पर वर्तुलाकार दिखाई देता है और जब 'म' का चिन्ह धीरे-धीरे लुप्त होता है तो वही आकार त्रिकोण और षट्कोण में बदल जाता है। __ यह सम्पूर्ण विश्व ध्वनि और आकृति का ही एक खेल है । इसी को हमारे प्राचीन ऋषियों-मुनियों ने नाम रूपात्मक जगत् कहा है। इस विश्व की प्रत्येक वस्तु ध्वनि-आकृतिमय है। इसी को दूसरे शब्दों में यों कहा जा सकता है कि प्रत्येक वस्तु प्रकम्पायमान अणु-परमाणुओं का समह है। प्रत्येक वस्तु में अणुओं के प्रकम्पनों की आवृति (Frequencies) आदि की विविधता है। प्राचीन काल में ऋषियों-योगियों ने अपने अन्तर्ज्ञान से जाना कि जब ध्वनि आकृति में बदल सकती है तो वह द्रव्य में भी बदल सकती है। उन्होंने उस द्रव्य पर नियन्त्रण करने के लिए उस ध्वनि को ही माध्यम बनाया। उन्होंने द्रव्य विशेष पर ध्यान दिया, उस पर अपने मन को अत्यन्त एकाग्र किया और जाना कि उससे एक विशेष प्रकार का स्पन्दन आ रहा है और वह स्पन्दन उस द्रव्य के सारे शक्तिव्यूह को अपने में लिए हुए है। स्पन्दन के माध्यम से पदार्थ के शक्तिव्यूह को पकड़ा जा सकता है। रं ध्वनि से अग्नि को पैदा किया जा सकता है। ऋषियों ने अनुभव किया कि जब भी कोई वस्तु तरल से सघन होने लगती है तो उसमें से लं ध्वनि आने लगती है। 'लम्' ध्वनि पृथ्वी तत्त्व की जननी है। 'वम्' ध्वनि जल तत्त्व का आधार है। जल जब बहता है तो उसमें 'वम्' ध्वनि प्रकट होती है। इसी प्रकार 'वम्' ध्वनि से जल को-शीतलता को पैदा किया जा सकता है। 'यम्' ध्वनि वायु का आधार है, 'हम्' आकाश का आधार है। हं ध्वनि से आकाश को प्रभावित किया जा सकता है। इस प्रकार प्रत्येक तत्व एवं वस्तु की स्वाभाविक ध्वनि को पकड़ने की कोशिश की और इस स्वाभाविक ध्वनि के माध्यम से उस तत्त्व
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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