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________________ 2768 महामन्त्र णमोकार : एक बैज्ञानिक अन्वेषण 1 बीजों में प्रमुख, कल्याणकारी और लक्ष्मी प्राप्ति में सहायक है । पीतवर्णी, द्धि मंडली युक्त, मीनराशि, सोम ग्रह युक्त तथा भूतत्व युक्त है । इसकी ध्वनि दन्त्य है और ओ के सहयोग से वह दन्त्योष्ठ हो जाती है । ओ मातृका उदात्तता का सूचक है, निर्जरा हेतुक, रमणीय पदार्थों की संयोजिका सिंह राशि युक्त, भूमि तत्त्ववती तथा परम कुंडली आकार की मातृका है । 'लो' मातृका दन्त्योष्ठ ध्वनि तरंगी होने के कारण कर्मठता और संघर्षशीलता को ध्वनित करती है । अन्ततः विजयपर्व की सूचिका है । साधु परमेष्ठी भी कर्ममय कर्मों से संघर्ष का जीवन व्यतीत करते हैं । ए - श्वेत वर्ण, परम कुंडली (आकार), अरिष्ट निवारक, वायुतत्त्वयुक्त, गतिसूचक, निश्चलता द्योतक तालव्य ध्वनि युक्त । स- शान्तिदाता, शक्ति कार्य साधक, कर्मक्षयकारी, कर्मण्यता का प्रेरक, श्वेतवर्णी, कुंडलीतय आकारवान, जलतत्त्वयुक्त दन्तस्थानीय | ब कुंडलीवत आकार, रोगहर्ता, जल तत्त्वयुक्त, सिद्धिदायक, सारस्वत बीजयुक्त, भूत-पिशाच-शाकिनी आदि की बाधा का नाशक, स्तम्भक, तालव्य ध्वनियुक्त । संयुक्त ध्वनि मातृका होने के कारण द्विगुण शक्ति । सा - 'स' ध्वनि का विवेचन 'णमोसिद्धाणं' के प्रसंग में हो चुका है । देखिए । हू - 'ह' ध्वनि का विवेचन ' णमो अरिहंताणं' के प्रसंग में हो चुका है | देखिए । णं - 'णं' ध्वनि पूर्व विवेचित है ही । महामन्त्र णमोकार अनादि - अनन्त महामन्त्र है । इसकी गरिमा, महत्ता और मंगलमयता सहस्रों वर्षों से अनेक भक्तों के प्रचुर अनुभव द्वारा प्रभाणित होती आ रही है । इसकी महत्ता को सिद्ध करना कुछ ऐसा ही है जैसे कि अग्नि की उष्णता सिद्ध करना अथवा वायु की 1
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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