________________
156: महामन्त्र णमोकार : एक वैज्ञानिक अन्वेषण
अवयवों के उच्चारण-स्थान के रूप में मानते हैं; जवकि चल अवयवों को भी उच्चारण-अवयव के रूप में स्वीकार करते हैं। उचारण प्रक्रिया में जबड़ा एवं ओष्ठ तो स्पष्टतया देखे जा सकते हैं, जिह्वा भी कुछ दृष्टव्य होती है। अन्य क्रियाएं भीतर होती हैं, बाहर से नहीं देखी जा मकती। एक्सरे,टी०वी०, यूवी,लेटिंगोस्कोप जैसे उपकरणों से ये क्रियाएं समझी जा सकती है। सम्पूर्ण रूप में यह-मुख, नासिका, कंठ, फेफड़े आदि का समुदाय वाणी-मार्ग (Speech-Tract) कहलाता है।
ध्वनियों के उच्चारण वाग्यंत्र (Vocal apparatus) से होता है। इसी को उच्चारण-अवयव (Vocal organ) भी कहते हैं। उच्चारण अवयव निम्नलिखित है___ 1. उपालि जिह्वा (कंठ, कंठ मार्ग) (Pharynx), 2. भोजन नलिका (Gullet), 3. स्वर यन्त्र कंठपिटक, ध्वनियन्त्र) (Larynx), 4. स्वर यन्त्र मुख (काकल) (Glottis), 5. स्वरतन्त्री (ध्वनितन्त्री (Vocal Chord), 6. अभिकाकल-स्वर यंत्रावरण (Epiglottis) 7. नासिकाविवर
Nagal cavity), 8. मुख विवर(mouth Carity), 9. अलि जिह्व (कौआ, घंटी) (Uvula), 10. कंठ ((Gutter), 11. कोमल तालु (Soft Palate) 12. मर्धा, (Cerebrum), 13. कठोरतालु (Hard Palate), 14. वर्क्स (Alreala, 15. aia (Tecth), 16. 37163 (Lip)
नोट-जिह्वा को कुछ भागों में ध्वनि के स्तर पर विभाजित किया गया है : ___17. जिह्वा (Tongue), 18. जिह्वामूल (Root of the Tongue), 19. जिह्वानीक (Tip of the Tongue), 20. जिह्वाग्र-जिह्वा फलक (Front of the Tongue), 21. जिह्वा मध्य (Middle of the Tongue), 22. जिह्वापश्च (Back of the Tongue) __कतिपय भाषा वैज्ञानिकों ने व्यवहारिकता के दृष्टिकोण से केवल 16 ध्वनि-अंगों को ही स्वीकार किया है।
1. स्वर यन्त्र, 2. स्वर तन्त्री, 3. अभिकाल या स्वर यन्त्रावरण, 4. अलिजिह्वा, 5. कोमल तालु, 6. मूर्धा, 7. कठोर तालु, 8. वयं, 9. दांत, 10. जिह्वा नोक, 11. जिह्वाग्र, 12. जिह्वामध्य, 13 जिह्वापश्च, 14. जिह्वामूल, 15. नासिका विवर, 16. ओठ ।