SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 55
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 3548 महामन्त्र णमोकार : एक वंज्ञ निक अन्वेषण ध्वनि का अर्थ और परिभाषा: भाषा विचारों और भावों के आदान-प्रदान का साधन है। वाक्य भाषा की सबसे बड़ी इकाई है, रूप (पद) उससे छोटी एवं ध्वनि उससे भी छोटी। किसी वस्तु के दूसरी वस्तु से घर्षित होने से जो प्रतिक्रिया हो, जिसे कान से सुना जा सके, सामान्यतया उसे ध्वनि कहा जाता है। उदाहरण के लिए मेंढक अथवा मछली के पानी में उछलने या कूदने से जो आवाज-ध्वनि या साउण्ड होगी उसे ध्वनि कहा जाएगा। यह ध्वनि की सामान्य परिभाषा है और इसका क्षेत्र बहुत व्यापक है। वैज्ञानिक दृष्टि से वायुमण्डलीय दबाव (Atmospheric pressure) में परिवर्तन या उतार-चढ़ाव (Variation) का नाम ध्वनि है। यह परिवर्तन वायुकणों (Airparticles) के दबाव (Compression) तथा बिखराव (refraction) के कारण होता है। भाषा या भाषा विज्ञान के प्रसंग में जिस ध्वनि पर विचार किया जाता है, वह तो पर्याप्त सीमित है। इसे भाषा-ध्वनि कहा जाता है। भाषा-ध्वनि भाषा में प्रयुक्त ध्वनि की वह लघुतम इकाई है जिसका उच्चारण और सुनने की दृष्टि से स्वतन्त्र व्यक्तित्व हो । उच्चारण के समय ध्वनियां अनेक परिवेशों से सम्बद्ध होती हैं। अर्थात् उच्चारण की लम्बाई क्या है उसके अनुपात में वह ध्वनि आदि, मध्य या अन्त में कहां तक उच्चरित है।' उसके पूर्वापर स्वर व्यंजनों की स्थिति क्या है।' यदि स्वर है तो कौन-सा-अग्र, पश्च, मध्य, विवृत, संवृत, ह्रस्व, दीर्घ, घोष, अघोष आदि । यदि व्यंजन हैं तो स्पर्श, स्पर्श संघर्षी, मूर्धन्य, दन्त्य, वय॑, ओष्ठ्य, अनुनासिक आदि में से कौन है ।' ध्वनि का निर्माण परिवेश के माध्यम से होता है। परिवेश की अनिवार्यता के कारण स्वाभाविक रूप से ध्वनि को परिवर्तन को प्रक्रिया से अपनी यात्रा करनी होती है । भाषा के लिखित रूप से ध्वनियों का प्रत्यक्ष: कोई सम्बन्ध नहीं है। लिखित रूप का सम्बन्ध वर्गों से है । वर्ण एवं ध्वनि में अन्तर है। भाषाओं में ध्वनियों को वर्णात्मक-प्रतीकों में विभाजित करके समझा जाता है । अलग-अलग भाषाओं में कभी-कभी एक ही ध्वनि के कई प्रतीक होते हैं-यथा-अंग्रेजी में 'क' ध्वनि के लिए (K), (C),(Q)
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy